मुखिया बदलने तक की बात तो शायद जनता पचा भी जाती, लेकिन भ्रष्टाचार अब और सहा नहीं जाता.
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अब भारत देश ने बहुत आंसू बहा लिया है, उस से अंग्रेजों का अत्याचार अब और सहा नहीं जाता है | कवि जी लहरें का उदाहरण लेकर कहते हैं, ; जिस प्रकार लहरें टकराती हुई किनारे तक आती है और सब कुछ बहाकर लेकर चली जाती है उसी प्रकार तुम लोग भी लहरें का रूप धारण करो, अर्थात जितना कुछ तुम लोगों ने अपने अन्दर समेटा हुआ उसका विद्रोह करने का समय आ गया है | तुम लोग भी लहरों की तरह विद्रोह करो और भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लो |